भक्ति में बाधक बना कोविड:वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी जी के मंदिर के पट बंद हुए तो भक्तों ने खटखटाया अदालत का दरवाजा

 

भक्ति में बाधक बना कोविड:वृंदावन में ठाकुर बांके बिहारी जी के मंदिर के पट बंद हुए तो भक्तों ने खटखटाया अदालत का दरवाजा


  • • सात महीने बाद 17 अक्टूबर को खुला था बांके बिहारी मंदिर, अगले आदेश तक बंद रखने का लिया गया है निर्णय

  • • भक्तों की उमड़ी भीड़ को संभाल नहीं पाया था मंदिर प्रबंधन और प्रशासन, इसलिए मंदिर बंद किया गया है
  • मथुरा में वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के कपाट बंद किए जाने का मामला अब कोर्ट पहुंच गया है। सोमवार को वकील राजीव माहेश्वरी और महेंद्र प्रताप ने सिविल जज जूनियर डिवीजन की अदालत में याचिका दाखिल की है। याचिकाकर्ताओं ने नियमित रूप से मंदिर खोले जाने की मांग की है। अदालत ने याचिका स्वीकार कर लिया है। 17 अक्टूबर को सात माह बाद मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे। लेकिन, मंदिर प्रबंधन कोरोना की गाइडलाइन का पालन कराने में फेल नजर आया। इसके एक दिन बाद ही अग्रिम आदेशों तक मंदिर के कपाट बंद रखने का निर्णय ले लिया गया।

    याचिकाकर्ताओं ने बांके बिहारी मंदिर को सुचारू रूप से खोलने की मांग की है। वाद में गोवर्धन-वृंदावन में होने वाली परिक्रमा में आने वाली भीड़ का भी जिक्र किया गया है। इसमें हजारों की संख्या में हर रोज आने वाले परिक्रमार्थियों की तरफ से परिक्रमा की साथ ही भक्तों की धार्मिक भावनाओं को देखते हुए मंदिर खोले जाने की मांग की गई है।

    मंदिर के कपाट खुलते ही उमड़ पड़ा था श्रद्धालुओं का सैलाब

    17 अक्टूबर को बांके बिहारी मंदिर खुला था। लेकिन, पहले दिन ही भक्तों का सैलाब इस कदर उमड़ा कि भीड़ को संभालना मुश्किल हो गया था। भीड़ को देखते हुए प्रशासन और मंदिर प्रबंधन द्वारा सरकारी गाइडलाइन के अनुपालन में की गईं तैयारियां एवं सोशल डिस्टेंसिंग आदि की जमकर धज्जियां उड़ीं। इसकी वजह से अब 19 अक्टूबर से मंदिर को बंद रखने का फैसला किया गया।

    प्रबंधक मुनीश कुमार शर्मा ने बताया कि अब ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व्यवस्था दुरुस्त, दर्शन की सुगम व्यवस्था एवं दर्शनार्थियों की सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम, जिला प्रशासन व पुलिस प्रशासन के सहयोग से ही पुनः दर्शन खोला जाना संभव हो सकेगा। मंदिर में ठाकुरजी की पूजा, भोगराग सेवा पूर्व की भांति अनवरत जारी रहेगी तथा मंदिर में प्रवेश केवल सेवायत गोस्वामी, आवश्यक कर्मचारी एवं मंदिर भवन की मरम्मत हेतु नियुक्त कार्यदायी संस्था के लोगों का ही रहेगा।

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